Blog Arogyasanjeevan

जरा, व्याधि एवं मृत्यू के प्रतिकों में संसार का दुःख जब-जब उभरा तब-तब प्राचीन ऋषियों ने करुणावश दुःख निवारण के उपाय खोज निकाले । चिकित्सकीय श्रेणी में आनेवाले कार्यों के अतिरिक्त शुद्ध और सात्विक आहार-विहार एवं विचार की सांस्कृतिक परंपरा का पुनर्गठन किया।उन्होंने मानव, समाज और प्रकृति के मध्य सह-अस्तित्व के संबंध को परिभाषित करते हुए, वैज्ञानिक आधार पर जीवन के शाश्वत मूल्यों की खोज की और मानव जीवन के साथ इसका समन्वय स्थापित कर विचार और व्यवहार की एक स्‍वस्‍थ परंपरा स्‍थापित करने का प्रयास किया ।

Read More …

Blog Arogyasanjeevan